रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध सभी धोरण 1 से 12 के लिए लिखा गया है आप इस Hindi Essay on Rani Laxmi Bai को अपने अभ्यास और परीक्षा में उपयोग में ले सकते है।
प्रस्तावना : रानी लक्ष्मीबाई भारत की वीर रानी थीं। भारत देश के महिलाओ का गौरव थी रानी लक्ष्मीबाई। रानी लक्ष्मीबाई जिन्होंने हस्ते हस्ते रणभूमि में अपने प्राण त्याग दिए थे। सब के लिए उनका जीवन कुछ प्रेरणा लायक है क्युकी भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम जो की 1857 में लडा गया था वह संग्राम उनके रक्त से लिखा गया था। रानी लक्ष्मीबाई का मानना था की सच्चा वीर कोई भी आपत्ति औ से नहीं घभराता। वीर का चरित्र अनुकरणीय और उनका लक्ष्य उच्च स्तर का होता है।
रानी लक्ष्मीबाई का जीवन : 19 नवम्बर 1835 में रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई का वास्तविक नाम मनुबाई था। जो की पेशवा राव की बहन मानी जाती थी। पेशवा राव रानी लक्ष्मीबाई को छबीली कहकर भी पुकारते थे। लक्ष्मीबाई का पालन पोषण बिठूर में हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई लड़को और पुरुष जैसे खेल पसंद करती थी जैसे की तलवार चलना , घोड़ेसवारी ,तीर कमठा और भी कई। वैसे ही उनके अंदर पुरुष के गुण और ताकत थी। किसी भी खतरे से लड़ लेने की हिम्मत रखती थी। लक्ष्मीबाई के हृदय में बाजीराव पेशवा ने अपनी कहानियोसे प्रेम भर दिया था।
लक्ष्मीबाई का विवाह:- झांसी के राजा श्री गंगाधर राव के साथ 1842 में लक्ष्मीबाई का विवाह घोषित किया गया था और 1850 में विवाह हुआ था। उसके बाद में उनको पुत्र की प्राप्ति हुई थी। लेकिन अफ़सोस वह तीन महीने बाद ही चल बसा और जंगाधर की तबियत ख़राब हो गयी। और फिर भी लाक्षीबाई घभरायी नहीं और हिम्मत रखकर आगे बढ़ी। गंगाधर ने अपने परिवार के पुत्र को दत्तक ले कर अंग्रेजी सेना के सामने घोषणा की लेकिन उन्होंने उनका दत्तक पुत्र अष्विकार किया और रानी लक्ष्मीबाई को असहाय और निराधार बताकर झांसी छोड़कर जाने के लिए कहा। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने उत्तर में कहा की जब तक में जीवित हु झांसी मेरी है।
रानी लक्ष्मीबाई की मृतु:– 1858 में ऐतिहासिक युद्ध में लक्ष्मीबाई के कहने के अनुसार टॉप और लक्ष साधकर गोले फेककर अंग्रेजी सेना के छक्के छूटा दिए थे। अंग्रेजी सेना एक मामूली स्त्री समझकर झांसी रानी पर हमला कर देते थे लेकिन लाक्षीबाई बहुत ही चतुर और शानी थी वह सेना के साथ हमेशा तैयार रहती थी और अपने राज्य में घुसने ही नहीं देती थी। लेकिन अंत में लक्ष्मीबाई को झांसी से भागना पड़ा और अंग्रेजी सेना के साथ ग्वालियर में बहुत ही युद्ध किया और उस दौरान उनकी मृत्यु हो गयी। वीरतापूर्वक उन्होंने अंग्रेजी सेना का मरते दम तक सामना किया लेकिन हार नहीं मानी।
उपसंहार : अंग्रेजी सेना से सेनापति सम्पूर्ण सकती के साथ रानी लक्ष्मीबाई का पीछा करते थे और सही समय देखकर उनकी हत्या करदी। नारी हो कर भी अंग्रेजी सेना के जीते जी छक्के छूटा दिए थे। उनसे कुछ प्रेरणा नारीत्व को मिलती है की वह भी पुरुष से काम नहीं है। अपने राज्य को बचाने का संघर्ष करने वाली और अपना प्राण त्यागने वाली झांसी की रानी की कहानी थी।
Hindi Essay on Rani Laxmi Bai - रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध
प्रस्तावना : रानी लक्ष्मीबाई भारत की वीर रानी थीं। भारत देश के महिलाओ का गौरव थी रानी लक्ष्मीबाई। रानी लक्ष्मीबाई जिन्होंने हस्ते हस्ते रणभूमि में अपने प्राण त्याग दिए थे। सब के लिए उनका जीवन कुछ प्रेरणा लायक है क्युकी भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम जो की 1857 में लडा गया था वह संग्राम उनके रक्त से लिखा गया था। रानी लक्ष्मीबाई का मानना था की सच्चा वीर कोई भी आपत्ति औ से नहीं घभराता। वीर का चरित्र अनुकरणीय और उनका लक्ष्य उच्च स्तर का होता है।
Hindi Essay on Rani Laxmi Bai
रानी लक्ष्मीबाई का जीवन : 19 नवम्बर 1835 में रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई का वास्तविक नाम मनुबाई था। जो की पेशवा राव की बहन मानी जाती थी। पेशवा राव रानी लक्ष्मीबाई को छबीली कहकर भी पुकारते थे। लक्ष्मीबाई का पालन पोषण बिठूर में हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई लड़को और पुरुष जैसे खेल पसंद करती थी जैसे की तलवार चलना , घोड़ेसवारी ,तीर कमठा और भी कई। वैसे ही उनके अंदर पुरुष के गुण और ताकत थी। किसी भी खतरे से लड़ लेने की हिम्मत रखती थी। लक्ष्मीबाई के हृदय में बाजीराव पेशवा ने अपनी कहानियोसे प्रेम भर दिया था।
लक्ष्मीबाई का विवाह:- झांसी के राजा श्री गंगाधर राव के साथ 1842 में लक्ष्मीबाई का विवाह घोषित किया गया था और 1850 में विवाह हुआ था। उसके बाद में उनको पुत्र की प्राप्ति हुई थी। लेकिन अफ़सोस वह तीन महीने बाद ही चल बसा और जंगाधर की तबियत ख़राब हो गयी। और फिर भी लाक्षीबाई घभरायी नहीं और हिम्मत रखकर आगे बढ़ी। गंगाधर ने अपने परिवार के पुत्र को दत्तक ले कर अंग्रेजी सेना के सामने घोषणा की लेकिन उन्होंने उनका दत्तक पुत्र अष्विकार किया और रानी लक्ष्मीबाई को असहाय और निराधार बताकर झांसी छोड़कर जाने के लिए कहा। लेकिन रानी लक्ष्मीबाई ने उत्तर में कहा की जब तक में जीवित हु झांसी मेरी है।
रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध
उपसंहार : अंग्रेजी सेना से सेनापति सम्पूर्ण सकती के साथ रानी लक्ष्मीबाई का पीछा करते थे और सही समय देखकर उनकी हत्या करदी। नारी हो कर भी अंग्रेजी सेना के जीते जी छक्के छूटा दिए थे। उनसे कुछ प्रेरणा नारीत्व को मिलती है की वह भी पुरुष से काम नहीं है। अपने राज्य को बचाने का संघर्ष करने वाली और अपना प्राण त्यागने वाली झांसी की रानी की कहानी थी।
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