Thursday, February 13, 2020

Lal Bahadur Shastri Essay In Hindi-लाल बहादुर शास्त्री पर हिन्दी निबंध

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Lal Bahadur Shastri Essay In Hindi-लाल बहादुर शास्त्री पर हिन्दी निबंध

आज कल के ब्रस्ताचारी राजनैतिक युग में लगता ही नहीं की हमारे देश में भी कभी ऐसे सच्चा और ईमानदार नेता थे।  लाल बहादुर शास्त्री भारत के गणतंत्र में जुड़ने वाले एक नेता थे। लाल बहादुर शास्त्री देश के सच्चे सपूत थे। लाल बहादुर शास्त्री का जीवन गांधीजी के आन्दोलन से सरु हुआ था। उन्होंने जो देश के प्रति अपने जीवन का समर्पण दिया था वो देशवाशी कभी नहीं भूल पाएंगे।

लाल बहादुर शास्त्री पर हिन्दी निबंध

Lal Bahadur Shastri Essay In Hindi-लाल बहादुर शास्त्री पर हिन्दी निबंध


लाल बहादुर शास्त्री का प्रारंभिक जीवन :-  २ अक्टुम्बर 2004 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय गांव में लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था। उनके माता का नाम रामदुलारी था और पिता को सब मुंशीजी कहते थे। अपने परिवार में सबसे छोटे लाल बहादुर थे इसीलिए उनको नन्हे भी कहा जाता था। उनके पिता उसी गांव की शाला के अध्यापक थे लेकिन कुछ दुर्भाग्य के कारन उनके पिता का शाया उनके सर से हट गया।  पिताजी के गुजरजाने के बाद दादाजी के ही संस्कार उनको मिले। लेकिन कुछ पार्थितीओ के कारण वह ज्यादा पढाई न कर पाए। ननिहाल में उन्होंने अपना प्राथमिक शिक्षण प्राप्त किया उसके बाद हाई स्कुल उन्होंने काशी में हरिश्चंद्र हाईस्कूल में जाकर विद्या हासिल की। Lal Bahadur Shastri Essay In Hindi

Lal Bahadur Shastri Essay In Hindi


लाल बहादुर शास्त्री पर हिन्दी निबंध


लाल बहादुर शास्त्री का राजनैतिक जीवन :- तब पुरे भारत देश में भारत की स्वतंत्रता का नारा लग रहा था।  गांधीजी को देख वो अपने जस्बात को काबू नहीं कर पाए और अपने जीवन को देश के प्रति व्यतीत करने का सोचा और आंदोलन में कूद पड़े। इस आंदोलन की वजह से 16 साल की उम्र में ही उनको जेल में जाना पड़ा। कोंग्रेश के प्रति उनका भोगदान देखकर उत्तर प्रदेश के पॉर्विसियल कमिटी का प्रमुख सचिव किया। 1935 में उनका राजनीती में स्वागत हुआ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव के बाद उनकी जीत हुई।  जीत के दौरान उन्होंने कहा की अगर एक इंसान भी मेरे खिलाफ है  तो भी में प्रधानमंत्री नहीं बनूँगा। स्वतन्त्रता की प्राप्ति के लिए वह अलग अलग आंदोलन में भाग लेते रहे। वैसे तो वह थे लेकिन उससे पहले वह जनसेवक थे क्युकी उन्होंने कभी भी अपने और अपने परिवार के लिए अपने होड्डे का गलत इस्तेमाल नहीं किया।

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अगर आज के नेता लालबहादुर शास्त्री के सिद्धांत पर चले तो आज भारत देश का बहुत निर्माण हो गया होगा। उन्होंने जनता के लिए अपना जीवन को देश के निर्माण के प्रति सोप दिया। जब नहेरु जी की मूत्रयु हुई तब प्रधान मंत्री के रूप में भागदौड़ संभाला और लोगोमे उनके प्रति विश्वास और ही बढ़ाया। ब्रस्ताचार को ख़तम करने के लिए अपने द्वारा बहुत ही कठिन कदम उठाये।

1965 में पाकिस्तान ने भारत के प्रति युद्ध कर दिया। शास्त्रीजी ने बड़ी ही दृढ़ इच्छाशक्ति से हमारे देश के युद्ध के लिए तैयारी की। शास्त्रीजी जी ने सेना को दुश्मनो से निपट ने के लिए कोई भी निर्णय सेना ले सकती है ये बात की उन्होंने पूरी स्वतंत्रता दी थी। उन्होंने ये निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी और सेना ने अपने नेता का पूर्ण समर्थन पाकर दुश्मनो को करारी मोत दी। 
लाल बहादुर शास्त्री पर हिन्दी निबंध

ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्पति अयुबखान के साथ युद्ध न करने की ताशकंद घोसना के बाद शास्त्री जी की मृत्यु हो गई थी। लाल बहादुर शास्त्री जी के मृत्यु के उपरांत 1966 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। हिन्दुस्तान में लाल बहादुर शास्त्री के कारण ही सफ़ेद और हरित क्रांति आई। वो हरित क्रांति में पूरी तरह से जुड़ गए थे। लाला बहादुर शास्त्री जी ने अपने आवास के लिए लोन लिए था और वो लोन उन्होंने खेती के लिए उपयोग कर दी थी और उन्होंने ऐसा इसलिए किया की उन्हें जितने जवान पसंद थे उतने ही किसान भी पसंद थे। इसीलिए लाला बहादर शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा लगवाया था 

उपसंहार :- लाल बहादुर शास्त्री का एक जीवन मंत्र भी था वो ये था की हमारी ताकत और मज़बूरी के लिए सबसे जरुरी कम है लोगो में एकता स्थापित करना। लाल बहादुर शास्री हंमेशा कहा करते थे की ईमानदारी सबसे अच्छी निति है। शास्त्री जी हंमेशा से दयालु ,अग्रग्रामी सोच रखने वाले नेता थे। उनका जीवन जीने का यही एक तरीका था सदा जीवन उच्च विचार। शास्त्री जी बहोत महान थे। 

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