Swami Vivekananda Essay In Hindi सभी धोरण 1 से 12 के लिए लिखा गया है आप इस स्वामी विवेकानंद पर हिन्दी निबंध को अपने अभ्यास और परीक्षा में उपयोग में ले सकते है।
प्रस्तावना:- स्वामी विवेकानंद को भारत के महापुरुष गिने जाते है। स्वामी विवेकानंद एक महान गुरु और नेता थे। रामकृष्ण मिशन ओर रामकृष्ण मठ की स्थापना स्वामी विवेकानन्द द्वारा की गई थी। अंग्रेजो की लड़त में दूसरे महापुरुष विवेकानंद के सिधान्तो का पालन करते थे।
स्वामी विवेकानन्द जी प्रारंभिक जीवन:- सन 1863 जनवरी 12 को कायस्थ परिवार में स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था । उनको बचपन मे नरेंद्र देव से बुलाया जाता था। उनकी माता भुनेश्वरी ओर पिताजी का नाम विश्वनाथ था। नरेंद्र देव के दादा जी संस्कृत और फ़ारसी के विद्यान थे। और पिता विश्वनाथ पेशे से वकील थ ओर माताजी धार्मिक प्रवुति करती थी। नरेंद्र बचपन से मेघावी थे और उन्होंने सन 1889 में मेट्रिक की परीक्षा पास करी ओर कोलकत्ता की जनरल असेम्बली कॉलेज में एडमिशन लिया। विवेकानंद इतिहास,दर्शन ओर साहित्य जैसे विषयो में अभ्याश किया। नरेंद्र बी.ऐ की परीक्षा में उत्तीण माक्स से पास हुए थे। नरेंद्र के पिता का दिहन्त हो गया और न चाहते हुए भी उनको नोकरी करनी पड़ी और आर्थिक कठिनाईयो का सामना करना पड़ा। ओर जब वह अपने गुरु से मिले तो उनको मा काली से प्रार्थना करने को कहा। लेकिन जब वह माँ काली के पास गए तो धन संपत्ति को छोड़कर बुद्धि और भक्ति की याचना करने लगे।और उनके अंदर भक्ति करने से धार्मिक गुणों को उद्भव हुआ और वह स्वामी विवेकानंद कहलाये गए। Swami Vivekananda Essay In Hindi
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स्वामी विवेकानन्द के गुरु :- रामकृष्ण जी को मिलने के बाद उनका संत और धार्मिक जीवन आरम्भ हुआ। उन्हीने जमज के प्रति ओर आंदोलन के प्रति अपना जीवन को ले जाने का सोचा । नेतृत्व ओर आंदोलन करके भर के पाश्रिमी देशों को परिचित कराया। उन्होंने सनातन धर्म और ज्ञान शास्त्र के अनुसार विश्वभर में लोगोको भाईचारे का संदेश दिया।सवामी विवेकानंद हमेशा सच बोलते थे और एक विद्वान थे। उन्होंने रामकृष्ण को अपना आद्यात्मिक गुरु माना और उसके बाद वह स्वामी विवेकानंद से जाने गए। उन्होंने जब रामकृष्ण मिशन की स्तनपान करी तब उनके गुरु का नाम भी रोशन किया ओर सदैव उनके गुरु को याद रखा। swami vivekanand ka nibandh
स्वामी विवेकानंद भारतीय आंदोलन:- अमेरिका में शिस्यो को ज्ञान देने के 4 साल बाद वह भारत लौटे ओर उनका भव्य स्कागत किया गया क्योंकि उन्होंने उनके नाम के साथ साथ भारत देश का भी नाम रोशन किया। भारतीय अद्यात्मक प्रसार के बाद रामकृष्ण मिशन की स्थापना करी ओर इस मिशन के सफलता के बाद उन्होंने बहुत श्रम किया जिससे उनका स्वास्थ्य संतुलन बिगड़ गया। ओर 4 जुलाई 1902 की रात्रि को उनके प्राण चले गए। उठो जागो ओर धैय प्राप्ति सुधि मंड्या रहो वह उनका सिद्धान्त था। पूरा भारत देश इस सिद्धांत को बहुत ही महत्वपूर्ण लेखों में लिखा गया है। swami vivekananda par nibandh
उपसंहार :- स्वामी विवेकानंद जैसे ही जीवन में अगर कुछ करना है तो अपने ध्येय को चुनो और जब तक उसे हाशिल न कर सको महेनत करते रहो। स्वामी विवेकानंद अपने भाषणों से दुनियाभर में प्रसिद्ध थे और उन्होंने अपने नाम के साथ देश का और उनके गुरु रामकृष्ण का भी नाम रोशन किया। वैसे ही उनका एक सुविचार था ''ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है.''
Swami Vivekananda Essay In Hindi-स्वामी विवेकानंद पर हिन्दी निबंध
प्रस्तावना:- स्वामी विवेकानंद को भारत के महापुरुष गिने जाते है। स्वामी विवेकानंद एक महान गुरु और नेता थे। रामकृष्ण मिशन ओर रामकृष्ण मठ की स्थापना स्वामी विवेकानन्द द्वारा की गई थी। अंग्रेजो की लड़त में दूसरे महापुरुष विवेकानंद के सिधान्तो का पालन करते थे।
Swami Vivekananda Essay In Hindi
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स्वामी विवेकानन्द के गुरु :- रामकृष्ण जी को मिलने के बाद उनका संत और धार्मिक जीवन आरम्भ हुआ। उन्हीने जमज के प्रति ओर आंदोलन के प्रति अपना जीवन को ले जाने का सोचा । नेतृत्व ओर आंदोलन करके भर के पाश्रिमी देशों को परिचित कराया। उन्होंने सनातन धर्म और ज्ञान शास्त्र के अनुसार विश्वभर में लोगोको भाईचारे का संदेश दिया।सवामी विवेकानंद हमेशा सच बोलते थे और एक विद्वान थे। उन्होंने रामकृष्ण को अपना आद्यात्मिक गुरु माना और उसके बाद वह स्वामी विवेकानंद से जाने गए। उन्होंने जब रामकृष्ण मिशन की स्तनपान करी तब उनके गुरु का नाम भी रोशन किया ओर सदैव उनके गुरु को याद रखा। swami vivekanand ka nibandh
स्वामी विवेकानंद पर हिन्दी निबंध
स्वामी विवेकानंदजी का शिकागो सफर:- सन 1893 में अमेरिका के शिकागो सहर में धार्मिक विश्व समेलन हुआ था। स्वामी वेवेकानंद के शिस्यो द्वारा उनको इस समेलन में भाग लेने के लिए आग्रह किया गया। और बहुत ही कठिनाईयो के साथ इस समेलन में भाग लेने के लिए पहुचे। सब के बाद उनको मौका मिला और जब उन्होंने भाषण दिया टैब वह बैठे सभी लोग गदगद उठे और कई बार उनके समेलन ओर भाषण हुए । दुनियाभर में उनकी प्रशंसा होने लगी और उनका बड़ा ही नाम होने के बाद यूरोप और कई देशों में उनके शिस्यो की संख्या भी बढ़ने लगी । Swami Vivekananda Essay In Hindiस्वामी विवेकानंद भारतीय आंदोलन:- अमेरिका में शिस्यो को ज्ञान देने के 4 साल बाद वह भारत लौटे ओर उनका भव्य स्कागत किया गया क्योंकि उन्होंने उनके नाम के साथ साथ भारत देश का भी नाम रोशन किया। भारतीय अद्यात्मक प्रसार के बाद रामकृष्ण मिशन की स्थापना करी ओर इस मिशन के सफलता के बाद उन्होंने बहुत श्रम किया जिससे उनका स्वास्थ्य संतुलन बिगड़ गया। ओर 4 जुलाई 1902 की रात्रि को उनके प्राण चले गए। उठो जागो ओर धैय प्राप्ति सुधि मंड्या रहो वह उनका सिद्धान्त था। पूरा भारत देश इस सिद्धांत को बहुत ही महत्वपूर्ण लेखों में लिखा गया है। swami vivekananda par nibandh
उपसंहार :- स्वामी विवेकानंद जैसे ही जीवन में अगर कुछ करना है तो अपने ध्येय को चुनो और जब तक उसे हाशिल न कर सको महेनत करते रहो। स्वामी विवेकानंद अपने भाषणों से दुनियाभर में प्रसिद्ध थे और उन्होंने अपने नाम के साथ देश का और उनके गुरु रामकृष्ण का भी नाम रोशन किया। वैसे ही उनका एक सुविचार था ''ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है.''
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